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प्रथम पंचगव्य विश्वविद्यालय के निर्माण का मार्ग प्रशस्त
(भारतीए पौराणिक ज्ञान की गुरुकुलिये शिक्षा को समर्पित ग्रामीण विश्वविद्यालय)पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन 2014 में गूंजा “गऊविज्ञान से निरोगी भारत”
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“गव्यसिद्ध” प्रथम पंचगव्य मेडिकल बुलेटिन का विमोचन करते हुए अतिथि संत गण. बायीं ओर से श्री अदृश्य काड सिद्धेश्वर महाराज, श्री विशुद्धानंद महाराज, श्री शम्भाजी राव भिड़े गुरूजी, गव्यसिद्धाचारी डॉ. संगीत, गव्यसिद्ध अश्विनी पाटिल एवं गव्यसिद्ध सुहाष पाटिल, दूसरी पंक्ति में डॉ. जी मणि एवं सनातन प्रभात के उपसंपादक आनंद जाखोटिया.
सांगली-औदुम्बर। द्वितीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन 14-16-2014 नवम्बर के बीच महाराष्ट्र प्रांत के श्री दत्त क्षेत्र सांगली-औदुम्बर में भारी गौभक्तों के भीड़ के बीच संपन्न हुआ। सम्मेलन में मुख्य रूप से भारत में पहला पंचगव्य विश्वविद्यालय तमिलनाडु प्रांत के कांचीपुरम में बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया। कार्यक्रम का आयोजन महर्षि वाग्भट्ट गौशाला एवं पंचगव्य अनुसंधान केन्द्र, कांचीपुरम स्थित पंचगव्य गुरुकुलम् के सानिध्य में स्थानीय गौशालाओं के साथ मिलकर किया गया।
इस अवसर पर अखिल भारतीए पंचगव्य चिकित्सक संघ का मुख पत्र ‘गव्यसिद्ध’ पंचगव्य मेडिकल बुलेटिन, गव्यसिद्धाचार्य डॉ निरंजन वर्मा के गऊविज्ञान एवं व्याख्यान के डी वि डी , पंचगव्य प्रचार – प्रचार पत्र (गौविज्ञान आधारित पोस्टर) एवं ‘गो-विज्ञान’ वृहद ग्रंथ का विमोचन संत अतिथियों ने किया।
गौभक्तों के उद्घोष के साथ अगला पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन राजस्थान के पुष्कर में होना तय हुआ। इस वर्ष ऋग्वेद का शुक्त (यतो गावस्ततो वयम् – अर्थात् धरती पर गऊमाँ हैं इसीलिए हमलोग हैं) को प्रचारित करने का संकल्प लेते हुए गव्यसिद्धों ने तय किया कि भारत के सभी जिलों में पंचगव्य गुरुकुलम् की एक शाखा और भारत के सभी गांवों में पंचगव्य चिकित्सा सेवा केन्द्र की स्थापना हो।
उपस्थित गव्यसिद्धर डॉ. (गोशुयोद्धा)
महासम्मेलन में अतिथि वक्ता के रूप में उत्तराखंड से गोपालक श्री विशुद्धानंदजी महाराज, कनेरी मठ-महाराष्ट्र से मठाधिपति श्री अदृश्य काड सिद्धेश्वरजी महाराज, शिव प्रतिष्ठन के प्रमुख ब्रह्मचारी श्री संभाजीराव भिड़े गुरुजी, सनातन प्रभात के उपसंपादक आनंद जाखोटियाजी, मदुरै से सेल थेरेपी के संस्थापक डॉ जी मणी, अखिल भारत कृषि गौसंवा संघ के अध्यक्ष श्री केशरीचंद मेहता, महाराष्ट्र के विख्यात कृषि वैज्ञानिक जयंत बर्वे, वारकरी संप्रदाय के प्रमुख क्रान्तिकारी ह भ प बंड़ातात्या कराडकर, अखिल भारत कृषि गौसंवा संघ के महाराष्ट्र प्रमुख मिलिंद एकबोटे, तिरुमल तिरुपति देवस्थानम, तिरुपति के आयुर्वेद विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक जी नारप्पा रेड्डी, पंचगव्य तंत्र विशेषग्य रविन्द्र अड़के, पंचगव्य गुरुकुलम के गव्यसिद्धाचार्य निरंजन वर्मा एवं गोशाला निर्मिती विशेषग्य अभियंता बापूराव मोरे ने आज के समय में पंचगव्य चिकित्सा विज्ञान की जरुरतों पर बल दिया और कहा कि यही एक चिकित्सा विधा है जिससे हम भारत को ही नहीं बल्कि संसार को निरोगी बना सकते हैं।
कार्यक्रम में ”यतो गावस्तातो वयं” और ”गऊमाँ से निरोगी भारत” का नारा गूंजता रहा।
श्री विशुद्धानंदजी ने गऊ और पंचगव्य के धार्मिक पक्ष को बड़ी मजबूती के साथ रखते हुए कहा कि यही एक मार्ग है जिससे भारत में सामाजिक समरसता सुदृढ़ हो सकती है।
पंचगव्य गुरुकुलम ने तैयार किये 49 गोमाता को समर्पित गव्यसिद्धरों (गोषु योद्धा ) का दूसरा समूह
श्री अदृश्य काड सिद्धेश्वरजी महाराज ने कहा कि आज का भारत गर्त में इसीलिए डूब रहा है क्योंकि गाय को कृषि कर्म करने वालों से अलग कर दिया गया है। सरकार की नीतियों को आड़े – हाथों लेते हुए कहा कि एलोपैथी चिकित्सा की लूट से निजात पाने का एक ही मार्ग है गाऊमाँ और पंचगव्य चिकित्सा।
श्री संभाजीराव भिड़े गुरुजी ने स्वतंत्र भारत में हो रही गऊहत्या पर सरकार को जमकर कोसा और कहा कि आने वाले समय में गऊसेवकों की सरकार आनी चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज जैसा गऊभक्त के हाथों में सत्ता आने के बाद ही भारत का भविष्य बदल सकता है।
श्री आनंद जाखोटिया ने गऊँ के अध्यात्मिक विषय के साथ आज के विज्ञान को जोड़कर बताया कि क्यों गऊरक्षा सबसे जरुरी है ? संस्था द्वारा वीडियो प्रदर्शनी के माध्यम से पंचगव्य गुरुकुलम द्वारा दी जा रही पंचगव्य चिकित्सा शिक्षा की वैज्ञानिकता पर प्रकाश डाला गया.
डॉ जी मणी ने पंचगव्य चिकित्सा शिक्षा पर बात करते हुए कहा कि पंचगव्य मनुष्य शरीर के उत्तकों पर काम करता है यही कारण है कि पंचगव्य से संसार के सभी रोग जल कर नष्ट होते हैं। पंचगव्य में कुछ भी असाध्यता नहीं है। पंचगव्य चिकित्सा पूरी तरह से प्रमाणिक है.
श्री केशरीचंद मेहता ने पंचगव्य से कैंसर के निदान पर प्रकाश डालते हुए बतलाया कि पंचगव्य से ही कैंसर जड़ – मूल से नष्ट हो रहा है। पंचगव्य सरल भी है और सस्ता भी है।
श्री जयंत बर्वे ने गऊँ के गव्यों का कृषिकर्म में उपयोग पर चर्चा किया और बतलाया कि गाय की मदद से ही लाभ वाली नैसर्गिक खेती की जा सकती है। उन्होंने नंदी के संवद्र्धन पर भी जोड़ दिया।
श्री बंड़ातात्या कराडकर ने गऊमाता से भारत की उत्कृष्ट संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे देश में सांस्कृतिक पतन का कारण गाय की हत्या है जिसे किसी भी कीमत पर रोकी जानी चाहिए। उन्होंने आंदोलन तेज करने पर भी बल दिया।
श्री मिलिंद एकबोटे ने गऊभक्तों में जोश भरा और कहा की सरकार और उसकी मिशनरी अभी भी नहीं सुधरी तो अंजाम बुरा हो सकता है क्योंकि गऊभक्तों की धीरजता समाप्त हो रही है। उन्होंने गऊभक्तों से आह्वान किया कि वे भारत के न्यायालय द्बारा दिए गए निर्देश के अनुसार गाय की रक्षा के लिए कमर कसें. उन्होंने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के निवास पर अगली बार गोद्वादसी करने की योजना बताई.
श्री जी नारप्पा रेड्डी ने तिरुपति तिरुमल देवस्थानम में गऊमाता पर हो रहे शोध के बारे में बताया और कहा कि पंचगव्य का निर्माण आज की आधुनिकता को ध्यान में रख कर किया जाए तो वह दिन दूर नहीं जब भारत एक निरोगी राष्ट्र बने। उन्होंने वीडियो प्रदर्शनी के माध्यम में पंचगव्य के विज्ञान को दर्शाया।
श्री रविन्द्र अड़के ने पंचगव्य के निर्माण में लगने वाली छोटी मिशनरी पर प्रकाश डाला और आने वाले दिनों में उसकी उपलब्धता की जिम्मेदारी ली.
बापूराव मोरे ने राजीव भाई के सपनों का भारत विषय पर उद्बोदन दिया और कहा की वह दिन दूर नहीं जब बड़ी तेजी के साथ हो रहे परिवर्तन की सुगंध आएगी.
कार्यक्रम की समाप्ति सांगली शहर के बीच विशाल न्यू प्राइड परिसर में एक दिन के कार्यक्रम के साथ किया गया.
कार्यक्रम का संचालन स्वयं पंचगव्य गुरुकुलम के गव्यसिद्धाचार्य डॉ निरंजन वर्मा एवं गव्यसिद्ध डॉ नितेश ओझा ने किया।
मंच का संचालन करते हुए गाव्यसिद्धाचार्य डॉ. निरंजन वर्मा
कार्यक्रम की भूमिका अखिल भारतीय पंचगव्य चिकित्सक संघ ने बनाया।
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गोपाल नंदन गोशाल, औदुम्बर में गोभक्तगण, अ ब राजीव भाई और गीताचार्य तुकाराम दादा को माल्यार्पण के बाद.
कार्यक्रम में पंचगव्य चिकित्सकों के लिए शीघ्र ही आपना कौंसिल निर्माण से संबंधी आंदोलन शुरु करने पर बल दिया गया।
महासम्मेलन में अहम् फैशाला
पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन में एक अहम् फैसला लिया गया की जिन – जिन प्रदेशों में राष्ट्रीय स्तर पर महासम्मेलन हो गया है वहां – वहां प्रदेश स्तरीय उपमहासम्मेलन का आयोजन वहां की गोमाताओं को समर्पित संत, कार्यकर्त्ता आदि जी जन्म जयंती पर की जा सकती है. यह महासम्मेलन वर्ष में एक बार किया जा सकता है. इसी प्रकार प्रदेश स्तर पर महासम्मेलन हो जाने के बाद जिला स्तर पर भी वर्ष में एक बार जिला स्तरीय पंचगव्य सम्मलेन किया जा सकता है. इसी तरह धीरे – धीरे पूरे भारत भर में पंचगव्य चिकित्सा सम्मलेन गाँव – गांव में फ़ैल जायेगा. अंतत: गाँव – गाँव में पंचगव्य सम्मलेन उसी प्रकार लगाने लगेगा जैसे आज भी साग भाजी के लिए छोटे – छोटे मेले लगते रहते हैं.
गोमाता और उसका विज्ञान जब इस तरह विकेन्द्रित हो जायेगा तभी गोमाता को भारत के लोगों के मन में उसी प्रकार बसा सकेंगे जैसे आज से 200 वर्ष पहले था. आइये ! भारत माता के इस यज्ञ में आपनी आहुति डालें.
इसी के सञ्चालन के लिए अखिल भारतीये पंचगव्य चिकित्सक संघ का गठन कर मद्रास उच्च न्यायालय से पंजीकृत कराया गया है.
अगला राष्ट्रीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन पुष्कर (राजस्थान) में, 2016 में अहमदाबाद (गुजरात) में और पहला अंतरराष्ट्रीय पंचगव्य चिकित्सा महासम्मेलन काठमांडू (नेपाल) में आयोजित होना तय हुआ है.
ll यतो गावस्ततो वयम ll गोमाता है इसीलिए हम लोग हैं.